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31 Aug 2024 · 1 min read

नदी का विलाप

नदी का विलाप कब किसने सुना।
बंधती रही देह उसकी कंकरीटों से,
कसमसाती रही बिलखती रही,
आखिर कितनी यातनाएं सहे वो!
उसको भी अधिकारधिकार है जीने का,
अगर जीने की छटपटाहट में,
तुम्हारे महल हिल गये तो,
ये उसका कुसूर कैसे हुआ?

लेखिका
गोदाम्बरी नेगी

Language: Hindi
49 Views
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