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26 Jun 2020 · 1 min read

नटनागर

हे नटनागर !
तूने फोड़ी सबकी गागर
हमको थल में रख कर
खुद रहते क्षीर सागर ,
इस थल में बड़ा कोप है
चारो ओर अधर्म का प्रकोप है ,
हे नटवर ! फिर हमको तरो
मोहिनी रूप ले कर
कलयुगी असुरों को बस में करो ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 08/02/16 )

Language: Hindi
2 Comments · 280 Views
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