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31 Aug 2021 · 1 min read

नटखट ग्वाला

छप्पय
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मोरपंख सिर ताज,गले वैजन्ती माला।
मुरली की मृदु तान,छेड़ता नटखट ग्वाला।।
गोकुल के सब गोप, गोपियाॅं बरसाने की।
कहें श्याम से नित्य,प्रात मधुबन आने की।
माखन देने को कहें,मीठी मिश्री साथ में।
किन्तु न ऐसा देख कर,कंकड़ नटखट हाथ में।

**माया शर्मा, पंचदेवरी, गोपालगंज (बिहार)**

Language: Hindi
1 Like · 272 Views
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