नटखट कान्हा
कान्हा मेरा कितना नटखट।
जाता है ये रोज ही पनघट।।
चुरा-चुरा कर माखन खाता।
ये तो मुरली रोज बजाता।।
जंगल में ये गाय चराता।
सब बच्चों के मन को भाता।।
राधा की ये मटकी फोड़े।
मांगे माफी हाथ ये जोड़े।।
मां यशोदा का राजदुलारा।
नंद बाबा की आंख का तारा।।
विजय बेशर्म