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29 Oct 2021 · 1 min read

नज्म

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अक्षर आग हो जाए कलम तलवार हो जाए।
उठेगा शायरी से दोहरे अर्थों का जब पर्दा।

गुजर जाते हैं घर के सामने से खोलकर पर्दा।
लगा देखा किया हमने वीराने में है सदा पर्दा।

खुशी में दु:ख में जीवन के हो मदिरापान से मस्ती।
बस शेर व शायरी से जिंदगी पर डाले रहो पर्दा।

नसीहत प्यार की देना किसी कातिल को है मुश्किल।
मसीहा कह के दे सकते गज़ब की चीज है पर्दा।

परेशान हों नहीं हमसे, करें हमसे से न यूं पर्दा।
कहीं महफिल न हो जाए सहमकर हमसे बेपर्दा।

जो कहते मान लेते हैं, यही एक चीज है उम्दा।
सभी खामोश हो जायेंगे जो उठ जाएगा पर्दा।
—–of 70s————————————–

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Comment · 305 Views
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