बारिश
बरसती हैं बूंदें कभी कभी तो अच्छा लगता है,
ऐसे ही हो दीदार तुम्हारा तो अच्छा लगता है।
जैसे तपती धूप के बाद बारिश की बूंदें,
ऐसे रूठकर तेरा मान जाना अच्छा लगता है।
अब तो बारिश भी आ गई तुम कहाँ हो,
इस मौसम में तुमसे बातें करना अच्छा लगता है।
घिर आये कारे बदरा लगता है पानी बरसेगा फिर,
ऐसे सी उदासी से रौनक आना अच्छा लगता है।
चाहे बूंदें हों न हों बारिश का मौसम हो,
साथ हो तुम तो बहुत अच्छा लगता है।
—–अशोक छाबडा.