नज्म- नजर मिला
नज्म- नजर मिला
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कभी तू भी मुझसे नजर मिला
कभी तू भी मेरी राह आ ।
कि तू मुद्दतों से दूर है
ये दिल गमों से चूर है
तनहाई से अब गिला नहीं
तेरे जैसा कोई मिला नहीं ।
न जमी पे चाँदनी बिखर सकी
न सबा खुशबू से भर सकी
न गुलों ने रोका किया मुझे
न दुनिया मेरी संवर सकी ।
तू नहीं तो शायद मैं नहीं
कहीं कोई वास्ता नहीं
तेरे दर से जो न गुजर सके
वो मेरा भी रास्ता नहीं ।
मुझे अब भी तेरी तलाश है
की तू दूर रह के भी पास है
तेरा गम भी मुझको अजीज है
जो मेरे लिए कुछ खास है ।
तेरी तसव्वुरों में डूब कर
तेरे ख्वाब लिए मैं फिर रहा
तेरे लम्हों को सीने लगा
कभी जी रहा कभी मर रहा
कभी तू भी मुझसे नजर मिला
कभी तू भी मेरी राह आ …..।
– अवधेश सिंह