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4 May 2024 · 1 min read

नज़्म

क्यों मचलती है बादेसबा।
क्यों ये वादियां बेताब है।
अब बेनूर चांद भी हो चला।
कहां गया ये आफताब है।।

क्या हैं बेवजह बेताबियां?
क्यों शहर में इतना खौफ है।
गर गौर से कोई सुने तो ।
खामोशी में दबा एक शोर है।।

चल रहे हैं खूब आरे धड़ाधड़।
शहर में बूढ़े शजर के मूल पर।
रो रहे हैं ये बेचारे फूल सारे।
अब नफरतों के तीखे शूल पर।।

हो गया अब ये कैसा शहर ।
हो गये ये कैसे सारे लोग हैं।
अफरा तफरी है चारों तरफ।
अफसोस क्या अजब दुर्योग है ‌‌।।
जय प्रकाश श्रीवास्तव पूनम

Language: Hindi
54 Views
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