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7 May 2019 · 1 min read

नज़ारा बाद का…..

सभी वादे निभाने जा रहे हैं
कि वो मूरख बनाने जा रहे हैं।

नया क्या देखने को अब मिलेगा
उसी हरकत को तो दुहरा रहे हैं।

वही हल्ला वही गुल्ला दिखा है
अभी हम वोट देकर आ रहे हैं।

अजी ये तो है चाकर एक दिन के
नतीज़ा आने तक बरगला रहे हैं।

विजेता जो कभी ये हो गए गर
तब हमें मिलने से कतरा रहे हैं।

हुआ है चाक चौबंद सभी कुछ
परे हट जाओ नेता जी आ रहे हैं।

सिफारिश से चलेगा काम शायद
न दीदारे हुजूर हो पा रहे हैं।

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

313 Views
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