Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Dec 2016 · 1 min read

नज़र बता रही है इसे उल्फ़त रही है …….

नज़र बता रही है इसे उल्फ़त रही है
किस तरह मजबूर दिल की हालत रही है

दर्द-ओ-ग़म कहीं सीने में दफ़न करके
खुश- खुश रहने की मेरी आदत रही है

टूटकर बिखर जाता तो फिर ना टूटता
क्यूँ दिल में जुड़ने की ताक़त रही है

हैं आज भी चाँद – तारे आस्माँ पर
दुनियां में तोड़ने की चाहत रही है

तू हासिल नहीं मुझे मगर फिर भी तेरे
आसपास होने से बड़ी राहत रही है

भाग-दौड़ ज़माने की तेज़ धूप में भी
तेरी याद इस दिल में सलामत रही है

कौन झुकता है’सरु’यहाँ किसी सिजदे में
मोहब्बत ही सदियों से इबादत रही है

278 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

चलिए देखेंगे सपने समय देखकर
चलिए देखेंगे सपने समय देखकर
दीपक झा रुद्रा
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
भ्रूण व्यथा
भ्रूण व्यथा
manorath maharaj
नाकाम
नाकाम
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
मां ! कहां हो तुम?
मां ! कहां हो तुम?
Ghanshyam Poddar
अमृत वचन
अमृत वचन
Dinesh Kumar Gangwar
ऐसे ना मुझे  छोड़ना
ऐसे ना मुझे छोड़ना
Umender kumar
3461🌷 *पूर्णिका* 🌷
3461🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
वस हम पर
वस हम पर
Dr fauzia Naseem shad
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
प्रेमदास वसु सुरेखा
परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में!
परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में!
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
*पत्थर तैरे सेतु बनाया (कुछ चौपाइयॉं)*
*पत्थर तैरे सेतु बनाया (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
Piyush Goel
है प्यार मगर इंतज़ार नहीं।
है प्यार मगर इंतज़ार नहीं।
Amber Srivastava
तृषा हुई बैरागिनी,
तृषा हुई बैरागिनी,
sushil sarna
*** तुम से घर गुलज़ार हुआ ***
*** तुम से घर गुलज़ार हुआ ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जब आप जीवन में सफलता  पा लेते  है या
जब आप जीवन में सफलता पा लेते है या
पूर्वार्थ
शीर्षक – फूलों के सतरंगी आंचल तले,
शीर्षक – फूलों के सतरंगी आंचल तले,
Sonam Puneet Dubey
बेबसी!
बेबसी!
कविता झा ‘गीत’
क्षतिपूर्ति
क्षतिपूर्ति
Shweta Soni
प्यासी नज़र
प्यासी नज़र
MEENU SHARMA
आत्मचिंतन की जीवन में सार्थकता
आत्मचिंतन की जीवन में सार्थकता
Sudhir srivastava
ग़लतफ़हमी में क्यों पड़ जाते हो...
ग़लतफ़हमी में क्यों पड़ जाते हो...
Ajit Kumar "Karn"
"किताबों में उतारो"
Dr. Kishan tandon kranti
बचपन की यादें
बचपन की यादें
Neeraj Agarwal
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
VEDANTA PATEL
वायरल होने का मतलब है सब जगह आप के ही चर्चे बिखरे पड़े हो।जो
वायरल होने का मतलब है सब जगह आप के ही चर्चे बिखरे पड़े हो।जो
Rj Anand Prajapati
ये जो आँखों का पानी है बड़ा खानदानी है
ये जो आँखों का पानी है बड़ा खानदानी है
कवि दीपक बवेजा
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हम और आप ऐसे यहां मिल रहें हैं,
हम और आप ऐसे यहां मिल रहें हैं,
Jyoti Roshni
Loading...