नज़रों से जब नजरें मिली
नज़रों से जब नजरें मिली
लगा ऐसा जैसे धूप खिली
अंधेरों में जी रहा था मैं तो
आखिर रोशनी मुझे मिली।।
उसमें रोशनी थी बहुत तेज़
मेरी आंखें चुंधिया गई जिसमें
और क्या कहूं अब मैं दोस्तों
मेरी जिंदगी समा गई उसमें।।
मिली नजरें थी लेकिन मेरे
दिल पर वो असर कर गई
खाली थी जो दिल की गलियां
उनको भी पलभर में भर गई।।
बदल दी उसने मेरी ज़िंदगी
दो पल में आशिक बना दिया
मेरी वफाओं का इन नजरों ने
आज मुझे ये क्या सिला दिया।।
असर नजरों के मिलने का
थोड़ा उस पर भी हुआ है
सिर्फ मैं ही नहीं पड़ा प्यार में
प्यार तो उसको भी हुआ है।।
नींद नहीं आती मुझे अब
चैन उसका भी खो रहा है
जबसे नजरों से मिली हैं नज़रें
जाने ये क्या क्या हो रहा है।।
नजरों की गुस्ताखी की सज़ा
बेचारा ये दिल भुगत रहा है
मेरी जान तो है अब तेरे दिल में
बेचारा फिर भी धड़क रहा है।।
नज़रों के नज़रों से मिलने से
बदली है लाखों की जिंदगी
जी रहे थे अकेले तन्हाई में जो
आज जी रहे हैं प्यार भरी जिंदगी।।