नज़राना
ग़ज़ल …
नज़राना
दिल का नज़राना तेरे लिये है ।
प्यार का अफ़साना तेरे लिये है ।।
तू है शम्मा मुक़द्दर की मेरे ।
ये रोशन परवाना तेरे लिये है ।।
तेरी उल्फ़त मेरी ज़िंदगानी है ।
ये आशिक़ दीवाना तेरे लिये है ।।
मदहोश हुए तेरी अदाओं से हम ।
ये जाम ये पैमाना तेरे लिये है ।।
संभाल रक्खे हैं वो नायाब मोती ।
अश्कों का ये ख़ज़ाना तेरे लिये है ।।
यूं तो ग़ुमसुम रहते हैं “काज़ी ” ।
ये दिखावटी हंसना हंसाना तेरे लिये है ।।
© डॉक्टर वासिफ़ काज़ी,इंदौर
© काज़ीकीक़लम