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15 Jul 2023 · 1 min read

*नजर बदलो नजरिए को, बदलने की जरूरत है (मुक्तक)*

नजर बदलो नजरिए को, बदलने की जरूरत है (मुक्तक)
_________________________
तुम्हें भीतर की यात्रा पर, निकलने की जरूरत है
खुशी भीतर से लेकर साथ, चलने की जरूरत है
नजारे खुद में दुनिया के, बुरे-अच्छे नहीं होते
नजर बदलो नजरिए को, बदलने की जरूरत है
________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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