नजर का नजराना
नजर का नजराना
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मेरे महबूव सनम
तेरी नजर के नजराने से
मैं नजरबंद हो गया हूँ
मैं नजरबंद हो गया हूँ।…..
मेरा इश्क की कहानियों से
न था कोई बास्ता
जब से मिली हो तुम
अब हुनरबंद हो गया हूँ।….
तूने नजर मिलाई
महफिल सी सज गई
हिमगिर की बहारो में
अगन सी लग गई
तेरे यौवन के पी के प्याले
मद मस्त हो गया हूँ।………
चाँदनी शरमा रही है
तेरे वदन को देखकर
#मधुबाला पिला रही मधु
अपने नयन को मूद कर
तू छलकता जाम है ओर
मैं सरावी हो गया हूँ।………
तेरी जवानी ले रही
अंगडाईया मधुभरी सी
मेघमाला से निकलकर
आई है तू कोई परी सी
सुर्ख जोड़े का परदा हटाकर
पी कर हुस्न प्याला ,मगरूर हो गया हूँ।….
शर्मो-हया का परदा हटाकर
नयन मिलाने दो जरा
रोग-ए-इश्क मे जकडा हुआ हूँ
दवा-ए-हुस्न पिला दो जरा
कोई तो आओ, मुझे होश में लाओ
दीदार-ए-हुस्न से मदहोश हो गया हूँ ।
मेरे महबूब सनम
तेरी नजर के नजराने से
नजरबंद हो गया हूँ
नजरबंद हो गया हूँ।
राघव दुबे
इटावा (उ०प्र०)
8439401034