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10 Dec 2018 · 1 min read

नजरो ने

उनकी नजरो ने हमारी नजरो को नजरो से बहकाया है
इल्जाम मुहोबत का बाद मे हम पर ही देखो आया है

सहारा हमेशा ही हमने मयखाने का हर पल पाया है
उसकी याद ने जब कभी भी अगर हमको सताया है

प्याला जब कभी भी हमने उनकी याद मे उठाया है
प्याले ने मुस्कराते हुए उसका चेहरा दिखाया है

ऐसी कोई मदिरा ही नही बनी जो नशे मे चुर कर दे
वो तो उनके हुस्न का जादू है जो दिल डगमगाया है

बेताब मुहोबत को कुछ तो राहत ही मिल जाये
मगर ऐसा तो हमने कोई जुल्म भी नही ढाया है

मोहन ने तो दिल को ही खुली किताब बनायाहै
जिसे मिलने पर हर कोई प्यार से समझ पाया है

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