नजरो ने
उनकी नजरो ने हमारी नजरो को नजरो से बहकाया है
इल्जाम मुहोबत का बाद मे हम पर ही देखो आया है
सहारा हमेशा ही हमने मयखाने का हर पल पाया है
उसकी याद ने जब कभी भी अगर हमको सताया है
प्याला जब कभी भी हमने उनकी याद मे उठाया है
प्याले ने मुस्कराते हुए उसका चेहरा दिखाया है
ऐसी कोई मदिरा ही नही बनी जो नशे मे चुर कर दे
वो तो उनके हुस्न का जादू है जो दिल डगमगाया है
बेताब मुहोबत को कुछ तो राहत ही मिल जाये
मगर ऐसा तो हमने कोई जुल्म भी नही ढाया है
मोहन ने तो दिल को ही खुली किताब बनायाहै
जिसे मिलने पर हर कोई प्यार से समझ पाया है