नजरअंदाज मत करो जो आम होते है
नजर अन्दाज मत करो जो आम होते है
पड़े जब वक्त वो ही तब हमारे काम होते है
सलाहें भी बहुत महंगी मिलेगी रोज लोगों से
मगर जब मान कहना बड़े ही दाम होते है
कहा क्या है किसी से होश उनको फिर नहीं रहता
कभी जा देख लो तो रोज पीये जाम होते है
निगाहों से टपक आँसू गिरे डूबे गमों में हम
गजल को तब लिखे जो लोग खय्याम होते है
कभी हो प्यार का जब मामला अनजान अपने से
दिलों की धड़कनों से वो सदा गुमनाम होते है
डॉ मधु त्रिवेदी