नजदीक होकर भी बहुत दूर होते है
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नजदीक होकर भी बहुत दूर होते है,
जिंदगी में लोग कितने मजबूर होते है !
दिखने में सब साथ नजर आते है मगर,
सब अपनी-अपनी मस्ती में चूर होते है !
बाते करते है बड़ी मीठी और सयानी,
दिल के मगर बड़े ही मगरूर होते है !
मुख पर झूठी हंसीं मन में बैर रखना,
इस दुनिया के ऐसे ही दस्तूर होते है !
तू परेशां ना हो अपनी चमक से ‘धर्म’
आँखों में वही चुभते है जो नूर होते है !!
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डी के निवातिया