नकाब
इन चेहरों के पीछे कई नकाब है।
इन हसरतों के पीछे कई नकाब है।
इन चेहरों में होती हैं बांटने की साजिश।
इन रकीबों के पीछे कई नकाब है।
हम गुम हो रहे इन फसादी नकामों में।
इन नकारदो के पीछे कई नकाब है।
सजाकर इन हसीन चेहरों की मजलिस।
इन मजलिसो के पीछे कई नकाब है।
रकीब हैरान देख इन फसादियों के कारनामे।
इन मुस्कानों में छिपे कई नकाब है।
वह जम्हूरियत में छिपकर रच रहे जिहादी।
इन जिहादियों में छिपे कई कौमी नकाब है।
रंग बदल कर दस्तूर रच रहे दहशत जिहादी।
इन कलम की दस्तूर में रच रहे मौसमी नकाब है।
अवध बड़ी मुश्किल से आज संभाला खुद को
इन हसरतों के पीछे कई नकाब है.
#अवध