नकली असली भेद
नकली का जब हुआ प्रसार
असली अपना अस्तित्व खो गया
बिकता रहा हाट मे हरपल
सही दूर दुर्लभ हो गया
कोई नही गलत को कहता
मिलावट का पूरा व्यापार हो गया
अब तो कहना कठिन हो रहा
असल का सत्यानाश हो गया
झूठ का ही वार्तालाप हो गया
सत्य आज प्रलाप हो गया
गलत पर सही का छाप हो गया
सही आज अभिशाप हो गया
विन्ध्यप्रकाश मिश्र. प्रवक्ता सरयूइंद्रा संग्रामगढ