नए साल पर
सोंच रहा हूँ नए साल पर तुमको क्या नज़राना दूँ।
बन जाऊँ यदि हवा महकती तो मौसम मस्ताना दूँ।
झूँठ कहूँ क्यों चाँद सितारे तोड़ के माँग सजाऊंगा
तुम्हें चाहकर हुआ कीमती कहो तो दिल दीवाना दूँ।
काश कहीं दे पाते हम हीरे मोती के हार तुम्हें ।
नए साल के नए दिनों में खुशियों की नई बहार तुम्हें।
एहसास करें जो दिलबर तो यह भी अनमोल खजाना है
स्वीकार इसी को कर लेना उपहार हमारा प्यार तुम्हें।।
संजय नारायण