नए वर्ष की इस पावन बेला में
नए वर्ष की इस बेला में
कुछ नई रीत अपनाएँ
बच्चों में संस्कार जगाएं
बेटियों को भी पढ़ाएं
नए वर्ष की इस पावन बेला में ………………..
पूरब की संस्कृति से
आओ सबका परिचय कराएं
लिखें इबारत आध्यात्म की
जीवन में हम संबल पायें
नए वर्ष की इस पावन बेला में ………………..
जीवन में आदर्श राम के
नानक से सेवा भाव जगाएं
सादा जीवन हो बुद्ध सा
इस धरा को स्वर्ग बनाएं
नए वर्ष की इस पावन बेला में …………………..
कृष्ण से सीखें , जीना कर्म हित
सभी प्राणियों से मोह बढ़ाएं
खुशबू सा महके , सबका जीवन
कुछ ऐसा, हम कर दिखाएँ
नए वर्ष की इस पावन बेला में …………………
क्यूँ कर भाई , लड़े भाई से
क्यूँ कर रूखापन , हो रिश्तों में
बंधन प्यार का हो जाए पावन
रिश्तों की ऐसी फुलवारी सजाएँ
नए वर्ष की इस पावन बेला में ………………
क्यूँ कर सो जाए मुन्नी , कोख़ में
क्यूँ कर जियें लड़कियां , बोझिल सा जीवन
पंख मिलें इनकी , सुसंस्कृत सोच को
ऐसा आशियाँ , हम मिल सजाएं
नए वर्ष की इस पावन बेला में ………………..
गरीबी का आलम न हो इस धरा पर
तरसती जिन्दगी को , ऐसी साँसें न हों यहाँ पर
आओ किसी गरीब की झोपड़ी , रोशन कर आयें
चंद मुस्कराहटों को उनका , गहना बना आयें
नए वर्ष की इस पावन बेला में ……………….
राम और रहीम पर न हो कब्जा , कुटिल राजनीति का
इन्हें इनकी चालों का मोहरा होने से बचाएं
आओ एकता की खुशबू से
इस वतन की मिट्टी को चलो महकाएं
नए वर्ष की इस पावन बेला में …………………….