नए वर्ष का उद्गम
पँख लगे हैं मुझमें देखो,
मैं आसमान में उड़ जाऊँगा।
इस नए वर्ष के अद्गम को
मैं अपना शीश झुकाऊँगा।
जल की धारा की तरह,
मन को मैं सरल बनाऊँगा।
और लहरों से भी आगे
अपने पँख को फहलाऊँगा।
पँख लगे हैं मुझमें देखो,
मैं आसमान में उड़ जाऊंगा।
हरी घास और पत्तों पर,
मैं पानी की एक बूंद टपकाऊँगा।
फिर हम रोज की तरह,
ऊँची उड़ान भर जाऊँगा।
पँख लगे हैं मुझमें देखो,
मैं आसमान में उड़ जाऊंगा।