नए भारत का उदय
इस साल का वसन्त
साथ नई खुशबुएँ,
फूल और पत्ते
तो लेकर आया।
लेकिन साथ में
लेकर आया
अनन्त बेचैनियां
और पशनाकुलता।
यझ प्रश्न है ऐसे
हिन्दूस्तान के सामने
जिसका कोइ नही जवाब
अतीत के सामने।
तासीर है अलग अलग
इन प्रश्नो में हर किसी की।
लेकिन जिसकी तासीर
है सबसे तीखी
राष्टवाद है नाम उसका।
चल रही है बहसे
राष्वाद के बारे में
आज का भारत
संकीर्ण राष्ट्रवाद से
है मुक़ाबिल
उसका उत्स कहि न
कहि दर्शाया जाता है
स्वामी विवेकानन्द में