नए भारत का उदय पेज नंबर 8
आज का समय ऐसा आ गया है। कि आज कलयुग और विज्ञान का युग माना जा रहा है । हमारे पास ज्ञानवान लोगों की बहुत कमी है। यह सब केवल एक अपराध की तरह पर विकसित हो रहे हैं। हमें केवल प्राकृतिक बने रहना था हम अब आधुनिक बन गए हैं। तो बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है कारण जीवन में कठिनाइयों कम करना। दूर करने के लिए हमने बहुत सारे खोजें की। अनुसंधान करें पर हम कहां जा रहे हैं हमारी मंजिल क्या है यह प्रश्न मेरे अंदर गूंजता रहता है। की जा हम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं क्या हम सुख की खातिर दूसरों का दूसरों का आहेत करना चाहते हैं। क्या हम प्रकृति को चैलेंज कर रहे हैं। क्या हम अमीरों की कहानी लिख रहे हैं। क्या हम भारत को गिरवी रख कर विकास का कार्य कर रहे हैं। क्या हम दूसरे देशों पर निर्भर हो चुके हैं। क्या हम कभी आत्मनिर्भर बन पाएंगे या नहीं।