नए जमाने की परवरिश
आज का जमाना बन गया है चुनौती भरा
बच्चों से पहले खुद का कैरियर और पैसों के खातिर
आज के माता पिता एक ही बच्चे को देता है जन्म
कह दो तो कहते हैं ना हो पाती कम पैसों में बच्चों की परवरिश
है पढ़ाना लिखा ना मुश्किल और खर्चा है बहुत ज्यादा
फिर खुद के कैरियर को लेकर हो जाते हैं इतनी बिजी
एक बच्चा जो आया के भरोसे छोड़ जाते हैं
नए जमाने की परवरिश में बच्चा खुद को अकेला ही पाता है
होता है समय जब माता-पिता के आने का तो ऑफिस का काम भी होता है बड़ा
ना तो मां की गोद मिल पाती है ना ही पिता का दुलार
ना मां की ममता का आंचल की वह छांव
खुद की व्यस्तता में बच्चे का बचपन खो जाता
है खुद बिजी तो बच्चे को मोबाइल है देते हाथ में थमा
इस नए जमाने की परवरिश में बच्चा भी गुस्सैल चिड़चिड़ा है बन जाता
कैसे कहे उन माता-पिता से यही खुद के जीवन के खातिर अपने बच्चे का जीवन है दांव पर लग जाता
जब है समय बीतता तो सिर्फ पछतावा ही रह जाता
*** नीतू गुप्ता