*नई राह पर नए कदम, लेकर चलने की चाह हो (हिंदी गजल)*
नई राह पर नए कदम, लेकर चलने की चाह हो (हिंदी गजल)
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1)
नई राह पर नए कदम, लेकर चलने की चाह हो
जीवन में प्रतिपल जीवन-भर, भरा हुआ उत्साह हो
2)
जैसे नदी लहर-लहराती, सागर तट तक जाती है
ठीक उसी चंचलता से, जीवन में भरा प्रवाह हो
3)
लोभ-मोह के कलुष जीव की, उन्नति में अवरोध हैं
यत्नपूर्वक सभी अवगुणों का जीवन में दाह हो
4)
बनी-बनाई पगडंडी का करूं परीक्षण सम्यक
सर्वोत्तम आदर्श हमेशा, मेरी चयनित राह हो
5)
गहन आत्म मंथन से ही, अमृत के कलश उपजते हैं
चिंतन में वह धार नित बसे, जिसकी कहीं न थाह हो
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451