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1 Oct 2020 · 1 min read

नई बात है क्या।

निभाना न वादा नई बात है क्या
बनाना बहाना नई बात है क्या

न करते हो कोई भी शिकवा शिकायत
यूँ खामोश रहना नई बात है क्या

महक इश्क की करती पागल सभी को
तुम्हारा बहकना नई बात है क्या

नहीं आह करके बहाते हो आँसू
सितम खुद पे ढाना नई बात है क्या

भले टूटकर चुभते है आँखों को ही
ये सपने सजाना नई बात है क्या

जरूरी भी होता छुपाना बहुत कुछ
ये पर्दा गिराना नई बात है क्या

तसव्वुर में खोये से रहते तुम्हारे
तुम्हें याद करना नई बात है क्या

गगन में निशा का धवल चाँदनी में
सितारे बिछाना नई बात है क्या

लगे आँख में गिर गया है हमारी
यूँ कह मुस्कुराना नई बात है क्या

है ये सात जन्मों का रिश्ता हमारा
मिलन तेरा मेरा नई बात है क्या

यूँ ही ‘अर्चना’ रूठ जाना तुम्हारा
हमारा मनाना नई बात है क्या

12-09-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

5 Likes · 2 Comments · 549 Views
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