नई दुल्हन
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विषय – नई दुल्हन
माँ बाप संजोते हैं स्वपनिल सपने
लाड़ली बेटी बनेगी कब दुल्हन!
आँखों में ख्वाब सजाती हर लड़की
मनचाहे दूल्हे की बनेगी वह दुल्हन!
लाँघ कर पिता की दहलीज
और छोड़कर माँ का सुखमय आँचल
मन में ले अरमान व उत्सुकता
आती है ससुराल में दुल्हन।
सुख-सपनों की आस लगाए
रहती आतुर, अस्थिर, चंचल
भुलाकर मायके का लाड़ प्यार सब
नए रीति-रिवाज अपनाती हर पल।
मान-सम्मान मिल जाए नए घर में
तो सौभाग्य -पुष्प खिलता प्रतिपल।
दुर्व्यवहार व तिरस्कार मिले तो
जीवन में मच जाती है हलचल।
बेटी-बहू में अंतर न हो
शुरू हो हर घर में ऐसा चलन।
घरेलू हिंसा व अत्याचार का
शिकार न बने कोई नई दुल्हन!
खेमकिरण सैनी