नई कली
नई कलियों के खिलने के बाद
जब पखुड़ियाँ खुलकर
सूरज की रौशनी को
अपने आगोश में लेने लगी
और जब भँवरे, तितलियाँ
उसके चारों ओर मंडराने लगी
तब फूलों की खुशबू में
जाने कब से बेखबर हवाएँ
खामोश होकर
गुलिस्तां में ठहर सी गई
सदाओं के बीच वो गश खाकर
मद्वम हो गई
जैसे कभी कोई तूफान
खूब तबाही मचाकर
सदी भर के लिए शांत हो जाता है
ठीक वैसे ही