नई ऊंचाइयां देने में लगा है ‘वो’ देश को
नई ऊंचाइयां देने में लगा है ‘वो’ देश को
जितना कर सकता है कर रहा है सब एक हों
सरल,सहज न था, न है ,न होगा उसका रास्ता
अपने-परायों, दोस्तों-दुश्मनों सबसे पड़ता उसका वास्ता
उसके हर कदम पर सबकी नज़र, जाता है ‘वो’ जिधर
दुश्मन परेशान हैं कहीं पा ही ना ले ‘वो’ अपनी मन्ज़िल
हुआ अगर जो कुछ ऐसा तो उनकी राह हो जायेगी मुश्किल
खींचने में लगे हैं वो सब मिलकर ही उसकी टांग
अंगद सा बल लिए ‘वो’ भी खड़ा है, लगा लो जितनी है जान
कुछ देर तो लगेगी ही उसको पहुँचने में अपनी मन्ज़िल
मदद चाहता है ‘वो’ उम्मीद लगाये भी बैठा है ‘वो’ सभी से
कि जो चुना-बुना है उसने रास्ता
बन जाएँ सभी उस पर चलने के काबिल
दुश्मनी बहुत हुई अब बावलों,
साथ अगर मिल जाओ तुम तो लक्ष्य होगा जल्दी हासिल
नई ऊंचाइयां देना चाहता है ‘वो’ देश को
जितना कर सकता है कर रहा सब एक हों
©®Manjul Manocha©️®️?