नई उड़ान भरते रहिए
क्यूं एक ही नज़र पर टिक कर रह जाना है
हर एक हसीना से आँखें चार करते रहिए
कोई दे रहा है दस्तक तो अंदर बुलाइए
क्यूं किसी का ताउम्र इंतज़ार करते रहिए
कोई बस जाए निगाहों में तो इजहार कीजिए
बन जाए बात तो ठीक वरना आगे बढ़ते रहिए
किसी के गाल है सुंदर, किसी के होठ है सुंदर
क्यूं किसी एक पर ही ताउम्र मरते रहिए
आपके नज़रों से घायल हुए पहली नज़र में
हर जगह यही कलमा लगातार पढ़ते रहिए
एक ही डाल का होकर कब रहा है परिंदा
हर नए दिन इक नई उड़ान भरते रहिए
~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar