ध्रुव तारा
ध्रुव तारा
लहरों संग छप्पा छप्पी मगन
मोबाइल खेलने की अटकन
सिमट सी गयी पीढ़ी की दूरी
गुजारा तेरे संग हसीन बचपन
आजीवन रहूँ मैं तेरा ध्रुव तारा
तू प्रेम संबल,आँखों का तारा
तू सरल चंचल निश्छल मौज
मैं तेरे सुख दुःख का किनारा
रहें दोनों दुनिया से बेख़बर
चल मिल बनायें रेत का घर
बनता टूटता फिर है बनता
यही है जीवन तू कभी न डर
रेखांकन।रेखा