“अनुभव से काम लें”
**ध्येय क्या बनाएँ
संतुष्टि साधन है ,
घर क्या माँगे,
आसमां छत जैसी,
आशियाना क्यों मांगे,
संपूर्ण धरा माँ जैसी है,
ऐसी सोच ने बेईमान बना दिया,
आतम में आपातकाल लगा दिया,
कोई नहीं मानता राजवंश हो या कुलवंश,
औरों का घर उजाड़ अपना बसा लिया,
आस्तिक वो होते है जिन्हें खुद से बचना है
महेंद्र तूने तो जवाब खुद से खुद को देना है,
निज-धर्म यानि स्वधर्म,
सर्व-धर्म हो सकता है,
गर स्वाध्याय,
आत्म-विश्लेषण,
आत्म-वंचना,
अन्तस् और बाह्य दोनों के प्रति जागृत हों,
समसामयिक घटनाओं से …अनुभव लें,
जितने भी बाह्य संसारिक आयोजन है,
सिर्फ अन्तस की जागृति के लिए है,
जीव जीवन के प्रति सामंजस्य पैदा होगा,
स्वयं को सुरक्षित रखते हुए,
दूसरों की रक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी,
डॉ महेंद्र सिंह खालेटिया,