ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
उसने देखा नहीं चश्मे तर की तरफ़
आज सीखा वफ़ादारियों का सबक़
देखकर बेवफ़ा बेख़बर की तरफ़
रास्ते खुद ही आसान होते गए
ध्यान था ही नहीं राहबर की तरफ़
क़त्ल दस्तार के वास्ते हो गया
हाथ उसने बढ़ाया था सर की तरफ़
क़ैद करना परिंदों को मुश्किल हुआ
पड़ गई है नज़र बालो पर की तरफ़
फिर बुढ़ापे का मंज़र सताने लगा
देखकर कट रहे इक शजर की तरफ़
राह की मुश्किलों का कोई डर नहीं
अब कदम चल पड़े हैं सफ़र की तरफ़