” ——————————– खड़ी खड़ी शरमाऊं ” !!
रंग न डालो मुझ पर ऐसे , बलिहारी मैं जाऊँ !
भीगे तन मन और वसन सब , खड़ी खड़ी शरमाऊं !!
लाल हरा पीला गुलाल है , सजा हुआ जो मुख पर !
पिचकारी ने भिगो दिया है , लाल लाल हो जाऊं !!
तुम में कोई और छिपा है , आज शरारत ऐसी !
अँखियों से मैं नाप तौल कर , तुम्हरे भाव लगाऊँ !!
नख से शिख तक हुई रँगीली , मन कोरा कोरा है !
तुम्हरे अंग लगूं जब प्रियवर , भीगी भीगी जाऊँ !!
इधर उधर ना नज़रें फेंको , मेरा दिल जलता है !
मेरी और निहारो केवल , पल पल लुटती जाऊँ !!
रंग लुभावन तभी लगे हैं , जब तुमने रंग डाला !
तेरे नाम की मैं जोगनिया , खुद में रमती जाऊँ !!
बृज व्यास