*ध्यान लगाते सिद्ध जन, जाते तन के पार (कुंडलिया)*
ध्यान लगाते सिद्ध जन, जाते तन के पार (कुंडलिया)
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ध्यान लगाते सिद्ध जन, जाते तन के पार
इस अद्भुत विज्ञान को, समझा कब संसार
समझा कब संसार, चमत्कृत सब हो जाते
ज्ञान अनिर्वचनीय, अनूठे अनुभव आते
कहते रवि कविराय, डूब कर मोती पाते
धन्य-धन्य मुनि मौन, पुरुष जो ध्यान लगाते
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रचयिता: रवि प्रकाश
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