– धोखेबाजी का है जमाना –
धोखेबाजी का है जमाना –
नही रहा अब किसी पर भी विश्वास,
चारो तरफ है धोखे, फरेब और मक्कारी का जाल,
दुनिया में अब रिश्ते दारी नही रही,
रिश्ते हो रहे दागदार,
सब स्वार्थ में नहाए हुए,
बिछाते रहते फरेब का जाल,
मां बाप भाई – बहन
सब रिश्ते हुए आज कल पैसों की बिसात,
कोई भी रिश्ता आजकल तुलता है धन के तराजू और बाट पर,
किसी का भी यहा कोई भरोसा नही,
कभी भी कोई भी दे सकता है धोखा भले ही कितना भी खास, कितना भी हो विश्वास,
क्योंकि धोखेबाजी का है जमाना,
नही रहा अब किसी पर भी विश्वास,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान