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7 Aug 2021 · 1 min read

धोखा नहीं आंँखों का!

धोखा होता नहीं आंँखों का,
न ही अनजानो का यह खेला है,
धोखा देना फितरत में हो यदि शामिल,
अनजान चेहरों में अपनों का ही झमेला है।

धोखे की कोई आस नजर नहीं आती,
अंधकार में भी विश्वास पनप है जाता,
गलती की आड़ में धोखे की नाव तैयार हो जाती,
जाने अनजाने में धोखे की नाव डुबो दी जाती।

धोखा एक पल का होता है,
आहात पहुँचाता है सदियों के रिश्तो में,
खंजर सीने में नहीं वार पीठ पर किया जाता है,
आंँखों के प्रत्यक्ष वह छुपा हुआ चेहरा नजर आता है ।

धोखे की नीव सच से नहीं जीत सकती,
आंँखों में बंधी पट्टी एक दिन तो है खुलती,
धोखे की नजर उन नजरों से फिर नहीं मिलती ,
विश्वास का सफर धोखे में ही है बिखरती ।

?
***बुद्ध प्रकाश;
** मौदहा हमीरपुर !

Language: Hindi
5 Likes · 217 Views
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