” धैर्य “
” धैर्य ”
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जो कोई इंसान कहीं करते हों जैसा भी काम !
पूर्ण त्याग और समर्पण से ही करें वो काम !
कर्त्तव्य-पथ पर ना रहे कहीं और ही ध्यान !
नहीं तो हो सकता है बहुत ही बड़ा नुक़सान !!
अच्छे कर्म करके भी गर ना मिला हो कोई मुकाम !
तो बिन घबराहट के सदा धैर्य से ही लें कोई काम !
धैर्य से किया कोई काम देता सर्वदा सुखद परिणाम !
धैर्य जो खोया तो होंगे बिल्कुल ही विपरीत परिणाम !!
धैर्य से ही किसी ने अंतरिक्ष तक की भ्रमण की !
धैर्य से ही किसी ने माउंट एवरेस्ट की भी फतह की !
धैर्य में ही समेट मानव ने इंग्लिश चैनल की सफ़र की !
धैर्य व संयम से हमने अंग्रेजों की गुलामी भी सहन की !!
सहन की इस क्षमता से हमने सफलता भी अर्जित की !
अंग्रेजों को खदेड़कर जीत भारत माता को अर्पित की !
बस धैर्य के साथ भारतीयों ने बुद्धि की भी परिचय दी !
त्याग व समर्पण की अद्भुत मिसाल हमने कायम की !!
पर वो त्याग हम सबका कभी व्यर्थ नहीं जाएगा !
भारत की स्वतंत्रता उन वीर शहीदों के नाम ही आएगा !
वो संघर्ष और बलिदान सर्वदा ही याद रखा जाएगा !
सफलता का इतिहास स्वर्णिमअक्षरों में लिखा जाएगा !!
धैर्य किसी व्यक्ति की चारित्रिक दृढ़ता का परिचायक है!
जो उस व्यक्ति की महानता भी करती उजागर है !
धैर्यवान बन जाना कोई साधारण सा काम नहीं होता !
उतावलेपन का तो उसमें नामोनिशान तक नहीं होता !
जो शांति से कदम बढ़ाता व परिणाम ढूंढ़ता हॅंसकर है !!
तभी धैर्यवान व्यक्ति करता हर मुकाबला ही डटकर है !!
_ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )