धैर्य
-धैर्य
कोई टूट गया, कोई छूट गया,
जो कहना वो कह दिया,
वो अंतर्मन की दिवारो को
टटोलता रह गया,
धैर्य को धारण बिल्कुल नहीं रख सका,
ग़लतफहमी में वो ढह गया।
…एक बीज धीरे-धीरेअंकुरित होकर
छोटा-सा पौंधा बनता है,
आगे चल कर छोटा पौधा
हरा-भरा वृक्ष बन
पंछी को आश्रय देता है,
पंथी को छाया देता है,
फल का निर्माण उसी से होता है फल में पुनः बीज विकसित होता है,
उस बीज का धैर्य देखो!!
अपना अस्तित्व खोकर…
और अपने जैसे कई
बीजों का निर्माण करता है।
– सीमा गुप्ता