धैर्य की परीक्षा – डी के निवातिया
धैर्य की परीक्षा
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अब न खाली हो किसी माँ की गोद, कोई लाल अब न फ़ना हो
कब तक देनी होगी धैर्य की परीक्षा, अब कोई नियम बना दो
बहुत हो चुका है खून खराबा, बात अब बर्दाश्त के बाहर हुई है
या तो, हिन्द में पाक मिला दो, नहीं तो पाक को हिन्द बना दो !!
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डी के निवातिया
काश कोई दिन ऐसा हो जिस रोज़ सैनिको की शहादत की खबर न मिले ……..मन बड़ा विचलित होता है …..आक्रोश भी उत्पन्न होता है ….हर दिन ये सब अच्छा नहीं लगता ……….मुझे नहीं पता क्या सही है क्या गलत है …मगर इंतेहा होनी चाहिए …….!!