धृष्टता
उसकी धृष्टता उस पर भारी पड़ गयी |गुरु में यदि गुरुत्व ना हो तो गुरु कैसा? कवि दिनकर जी ने कहा है- “क्षमा शोभती उसे भुजंग को,जिसके पास गरल है|
वह क्या जो विष हीन दंतहीन विनीत सरल है|”
डॉक्टर रमन मनोविज्ञान के प्रोफेसर हैं, यह उनकी प्रथम पोस्टिंग है | डॉ रमन कॉलेज में नए-नए प्रोफेसर नियुक्त हुए हैं| कॉलेज के माहौल से परिचित होने में सभी को समय लगता है|अतः उन्हें भी कालेज के माहौल से परिचित होने में समय लगा |
वह मनोविज्ञान की द्वितीय वर्ष की छात्रा है |डॉ रमन उसके प्राध्यापक हैं |वह सामान्य कद काठी की श्याम वर्ण की छात्रा है,किंतु, उस पर आधुनिकता की छाप अधिक है |वह अध्ययन में सामान्य है| अक्सर छात्र उस छात्रा के विषय में बहुत बड़ा चढ़ा कर बातें किया करते हैं | उक्त छात्रा का नाम कुलथी है| कुलथी की राजनीतिक पृष्ठ भूमि होने के कारण उसका कई प्रसिद्ध पत्रकारों, राजनेताओं से परिचय है,वैसे ही जैसे उपवन में पुष्प का होता है | घनिष्ठ राजनीतिक संबंधों के कारण उसमें विशिष्ट होने का जो भाव है,वो उसको अन्य छात्रों से अलग करता है | यह कुलथी का सुपरियारिटी कंपलेक्स है या भ्रम? पता नहीं |
संबंधों में उसे छोड़कर किसी और को वरीयता दी जाये, यह उसे कतई को मंजूर नहीं,वह तुनक मिजाज भी है | बात -बात पर तुनक जाने के कारण सहपाठियों से उसकी घनिष्ठता नहीं के बराबर है |सहपाठियों से उसका झगड़ा हमेशा होता रहता है| झगड़े का
कारण है, सहपाठियों द्वारा उसकी प्रभुता स्वीकार न करना|
जब डॉक्टर रमन की कुलथी से भेंट होती, वह सहपाठियों के विरुद्ध मोर्चा खोल देती ,उसका प्रयास रहता कि डॉ रमन उसकी तरफदारी करें,जो स्वाभाविक है,कि, डॉक्टर रमन से नहीं हो पाता| इससे वह क्षुब्ध भी हो जाती, कभी-कभी मन रखने के लिए डॉक्टर रमन बेमन से उसकी तरफदारी करते तो वह खुश भी हो जाती |
एक दिन की बात है, कुलथी ने कुछ सहपाठियों के वीडियो बनाये |वह अपनी सुपेरियारिटी साबित करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है ,यह उसी दिन ज्ञात हुआ| वे वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिये गये | छात्राएं उसकी इस ज्यादती से बहुत क्षुब्ध हुई | छात्राओं के साथ-साथ कॉलेज की प्रतिष्ठित छवि को बहुत धक्का लगा,|
डॉक्टर रमन को ज्ञात हुआ कि कुछ पत्रकारों ने छात्राओं से ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया है| उन्होंने सोशल मीडिया से वायरल वीडियो डिलीट करने के लिये अवैध धनराशि की मांग की है ,
विद्यार्थियों के डॉ रमन से मधुर संबंध है|
“छात्रों और एक शिक्षक
के मध्य नीर -क्षीर विवेक का संबंध होता है”|
विद्यार्थियों ने लिखित शिकायत की, उक्त शिकायती पत्र पर सभी विद्यार्थियों के सामूहिक हस्ताक्षर थे |
डॉ रमन ने उक्त पत्र प्रधानाचार्य जी को प्रेषित किया| कुलथी निश्चिंत थी कि उसके विरुद्ध कोई मामला नहीं बनेगा| वह अबतक कई मामले राजनीतिक प्रभुत्व द्वारा हल कर चुकी थी |आजतक ऐसा ही होता आया है | कॉलेज की प्रतिष्ठा के प्रश्न पर डॉ रमन समझौते करने के लिए कतई तैयार नहीं | उनका मानना है कि कुलथी को उसके किए की सजा मिलनी ही चाहिए, उसे कॉलेज से निष्कासित करना चाहिए |
प्रधानाचार्य ने जाँच कमेटी गठित की |डॉक्टर रमन को जांच कमेटी का सदस्य बनाया गया |
कमेटी ने कुलथी को उक्त कमेटी के समक्ष प्रस्तुत होने के लिए पत्र भेजा| कुलथी जांच कमेटी के समक्ष प्रस्तुत हुयी|
उसने कई अनर्गल आरोप छात्रों पर मढ़े,और अपने को निर्दोष साबित करने की पूरी कोशिश की| जांच कमेटी को उसका यह व्यवहार अत्यंत आपत्तिजनक लगा | उन्होंने उसे चेतावनी देते हुए सजग किया कि यदि लगाये गये आरोप उस पर साबित होते हैं तो उसका कालेज से निष्कासन भी हो सकता है| उसका भविष्य हमेशा के लिए अंधकार मय हो सकता है|
किंतु कुलथी पर जाँच का कोई प्रभाव नहीं पड़ा| जाँच कमेटी ने सभी विद्यार्थियों का बयान भी दर्ज किया|
सभी विद्यार्थी कुलथी के विरुद्ध बयान दे रहे थे| एक भी छात्र कुलथी का पक्षधर नहीं | अब जांच कमेटी ने जांच का दायरा बढ़ाया |कुलथी सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय रहती है, तब उन्हें प्रतीत हुआ कि राजनीतिक संबंधों का दुरुपयोग करके कुलथी ने कॉलेज की प्रतिष्ठा को कई बार क्षति पहुंचाने की कोशिश की है | अब साबित हो गया कि कुलथी पूर्णतया दोषी है|
कुलथी अब तक समझ चुकी थी कि उस पर कार्यवाही संभव है| ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया था| अतः उसने राजनीतिक रसूख का सहारा लेकर डॉ रमन पर दबाव डालना चाहा |किंतु, वे टस से मस नहीं हुए| तब उसने शिकायती छात्रों को घेरना चाहा, यह पासा भी उल्टा पड़ा|
अब उसने अपने पिता का सहारा लिया| उन्होंने एक पत्र लिख कर प्रोफेसर साहब पर आरोप लगाया कि वे तानाशाह प्रवृत्ति के हैं, उनके अनुसार आचरण करने वाला छात्र ही कॉलेज में रह सकता है,अन्यथा नहीं|
एक राजनेता ने पत्र संदर्भित कर प्रधानाचार्य व प्रमुख सचिव के पास भेजा| इसका भी विधिवत उत्तर दिया गया,
कुलथी के ऊपर आरोपों का निर्धारण हो चुका था, और, उसकी सूचना से उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया व उनसे उचित दिशा निर्देश मांगे गए | जिससे नियमानुसार कार्रवाई की जा सके|
कुलथी समझ रही थी ,कि, प्रोफेसर साहब से माफी मांगे बिना यह समस्या हल नहीं होने वाली है| क्योंकि, उसके विरुद्ध होने वाली कार्रवाई के केंद्र बिंदु प्रोफेसर साहब थे|
कुलथी एक दिन प्रोफेसर साहब के पास आई उसने रुआँसे होते हुए प्रोफेसर साहब से अपने किए पर माफी मांगी| उसने भविष्य में कभी किसी सहपाठी को अपमानित न करने की शपथ खाई| उसने भावनात्मक खेल खेलते हुए कहा, सर मेरे पिताजी का अरमान है कि मैं पोस्ट ग्रेजुएशन करूं| इस कार्रवाई से मेरा भविष्य बर्बाद हो जाएगा, मेरे पिता हृदय रोगी हैं | कृपया करके मुझे माफ कर दीजिए|
प्रोफेसर ने कहा, इस घटना के लिए तुम ही उत्तरदायी हो,तुमने अपना समय अध्ययन में नहीं लगाया, अनर्गल बातों में अपना समय व्यतीत किया, जिससे हमारे कॉलेज की प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचा |
उसने पुनः क्षमा मांगते हुए भविष्य में ऐसे कार्य न करने की शपथ खाई |
प्रोफेसर साहब ने कहा भगवान कृष्ण का कथन है, सब कुछ मनुष्य की भलाई के लिए होता है| हो सकता है?कि, इसी में तुम्हारी भलाई हो| तुम्हारा ह्रदय परिवर्तन करने के लिए ईश्वर ने मुझे माध्यम बनाया है|
उसके नेत्र पश्चाताप के अश्रुओं से भर गए |उसने कहा सर आपने कुम्हार की भांति घट के भीतर हाथ रखकर मुझे तराशा है, मैं आपका यह अहसान कभी नहीं भूलूंगी|
कुलथी प्रायश्चित कर रही थी,किंतु उसके पत्रकार मित्रों को यह नहीं भा रहा था| कुलथी प्रसंग जब तक चला पत्र मौन रहे
अन्यथा कुलथी की छोटी से छोटी गतिविधियां समाचार पत्रों में सुर्खियां बटोर लेती थी|
अचानक एक दिन कॉलेज गेट पर छात्र एकत्रित होने लगे,ऐसा कभी नहीं होता कि जब तक छात्र आंदोलन ना हो, कोई भी गेट पर एकत्र नहीं होता |
समाचार पत्र का एक पत्रकार कुलथी के समर्थन में धरने पर बैठ गया | उसकी मांग की, कि कुलथी पर चल रही जांच समाप्त की जाए|
कई दिनों तक पत्रकार का धरना- प्रदर्शन जारी रहा| प्रधानाचार्य को घटना से अवगत कराया गया| जांच कमेटी के समक्ष विचार विमर्श हेतु यह प्रकरण रखा गया|
उक्त पत्रकार राजीव ,जो कुलथी का मित्र है| वह समाचार पत्र में कॉलेज की छवि धूमिल करता रहा है |
राजीव से सम्बंधित समाचार पत्र को न्यायालय से नोटिस भेजी गई, इस कानूनी नोटिस से समाचार पत्र का ब्यूरो चीफ,राजीव से बहुत नाराज हुआ | उसने राजीव से शिक्षा विभाग वापस ले लिया,और उसे अन्य विभाग में नियुक्त कर दिया|
किंतु,राजीव कुटिल व चालाक व्यक्ति था, उसने एक छद्म कहानी गढ़ी |
उसने ब्यूरो चीफ से कहा कि प्रेस में कुछ लोग उसे धमकी दे रहे थे ,वह प्रोफेसर से दूर रहने की बात कह रहे थे| उन्होंने, उसे अपशब्द कहे|
ब्यूरो चीफ ने राजीव को पुलिस चौकी भेजा| पुलिस ने ना तो संज्ञान लिया ना ही पूछताछ किया | पुलिस वाले राजीव को व्यक्तिगत तौर पर जानते थे, वो उसके स्वभाव से परिचित थे| राजीव को न केवल धरना प्रदर्शन छोड़ना पड़ा बल्कि पुलिस से भी मुँह की खानी पड़ी|
कुलथी के तरकश का एक तीर और बेकार हो गया |
उसे बहुत विश्वास था कि यदि यह तीर निशाने पर लग गया तो उसे खोया हुआ दबदबा पुनः वापस मिल जायेगा |
कुलथी के पिता राजकीय निर्माण निगम में राजकीय कर्मचारी थे |उन के कार्यकाल में कई राजनेताओं से उनके अच्छे संबंध बन गए| कई राजनेताओं का उन्होंने कार्य किया था| उन्होंने एक शिकायती पत्र जन प्रतिनिधि से लिखवाकर शिक्षा मंत्री से शिकायत की कि
प्रोफेसर रमन छात्रों से दुर्व्यवहार करते हैं,वे तानाशाही प्रवृत्ति के हैं| राजनेताओं का अनादर करते हैं| शिक्षण में रुचि न लेकर राजनीतिक गतिविधि में लिप्त हैं आदि आदि |
प्रधानाचार्य ने डॉ रमन को उक्त शिकायती पत्र से अवगत कराया |शिक्षा मंत्री को उचित उत्तर देकर संतुष्ट किया गया| प्रकरण समाप्त हुआ|
कुलथी का अहम अब बिल्कुल चूर-चूर हो गया | उसे विश्वास हो गया कि महाविद्यालय में रहना है तो विनम्रता से सब का सम्मान करते हुए अपनी शिक्षा पूर्ण करनी होगी|
“छात्र जीवन चरित्र- निर्माण का कालखंड होता है, यही कालखंड छात्रों का भविष्य तय करता है| जिसका प्रतिफल शिक्षा पूर्ण करने के उपरांत सेवा काल में प्राप्त होता है| छात्रों के अनुभव,संघर्ष व लगन, छात्र जीवन की अमूल्य निधि हैं| छात्र जीवन का अनुभव अविस्मरणीय होता है| इस समय की मित्रता चिरस्थाई होती है| मन पर अमिट छाप छोड़ती है |
दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका था |कुलथी ने अपनी भूल स्वीकारते हुए बड़ी विनम्रता से अपनी त्रुटियों को सुधारने हेतु एक अवसर देने की प्रार्थना की| जांच कमेटी ने उसे उदारता पूरक स्वीकार कर उसे एक अवसर प्रदान किया| कुलथी ने जांच कमेटी का आभार व्यक्त किया और अपना भविष्य संवारने में लग गयी|
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम