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31 May 2022 · 1 min read

‘धूप’

‘धूप’
कच्ची धूप हो या पक्की धूप,
मुझे भाती हर तरह की धूप।
शरद ऋतु की गुनगुनी सी धूप,
ठिठुरते तन को तपाती धूप।
जेष्ठ की आग बरसाती धूप,
छाँव से हमको मिलाती धूप।
तीखी चमक लिए भादों की धूप,
जल को वाष्प बनाती धूप।
तरु दल से छनकरआती धूप,
फव्वारा बन नहलाती धूप।
हिम पर्वत पर छाती जब धूप,
कंचन आभ बिखराती धूप।
हो जिस भी मौसम की धूप,
वनस्पति में प्राण जगाती धूप।

Language: Hindi
230 Views
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