धूप
बादलों से लड़ के पेड़ों पर चढ़ के
छत पर कूदी अल्हड़ धूप
खिड़की से झांके आँगन में भागे
दिप दिप दमके यौवन रूप
जल पर नर्तन चमके लोचन
इत ऊत ढूँढे वर अनूप
चिलचिलाती किस से बतियाती
टहल रही अकेली हंसी अलूप
मिली अमराइयाँ डाल गल बहियाँ
झूले झूला सखा स्वरूप
साँझ के घर सिसकी भर भर
विदा हो गई परायी धूप
रेखांकन।रेखा