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14 Feb 2022 · 1 min read

धूप में जलना

मैंने सूरज से मिलने की शाम के सीने में तड़प देखी है
मैने झरने के सीने में पर्वत से बिछड़े की तड़प देखी है
मुझे ऐहसास है पत्तों की तड़प का जो डाली से बिछड़ जाते है
मैने रोटी से तरसती हुई आंखो की तड़प देखी है
मेरी राहों में तुमको जो सिर्फ शबनम दिखाई देती है
मेरे पांव ने कड़क धूप में जलने की तड़प देखी है
प्रज्ञा गोयल ©®

Language: Hindi
451 Views
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