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26 Mar 2022 · 1 min read

धूप पूजती पाॅंव धरा के

सप्तर्षि का कंगन पहने
अंबर कुछ मुस्काता है।

धीमे-धीमे, सॅंवर-सॅंवर कर
चंद्र किरण बिखराता है।।

धूप पूजती पाॅंव धरा के
जलधि प्रणाम सुहाता है।।

डोल-डोल कर मलय प्रफुल्लित
सरगम गान सुनाता है।

मन भीतर विश्वास उपजता,
भोर शगुन दे जाता है ।

स्मृतियों से दहक-दिवस
चहुं ओर अगन ले आता है।।

स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ

Language: Hindi
254 Views
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