धूप छांव
धूप -छांव सा अपना जीवन,
जिसमे हम चलते रहते,
दुःख की धूप हो,
या सुख की छांव,
हम हंस कर सहते रहते।
कठिन समय जब आता है,
ये जीवन बहुत सताता है,
संयम से जो पार करे,
वो बुद्धिमान कहलाता है।
समय का पहिया घूमे हरदम,
कुछ भी नहीं है अंत यंहा ,
थोड़ी देर में धूप जंहा थी ,
अब है देखो छांव वंहा।