!!..धुंधली यादें..!!
कुछ धुंधला धुंधला सा
ही अब याद है मुझको..!
धुंधले – धुंधले से ही
कुछ अपनों के चेहरे हैं..!
धुंधला गई है बाते सारी पर
कुछ ज़ख्म अभी तक गहरे है..!
निसबत रखना किस्मत में
नहीं था.. फिर भी ढूंढते रहें
की आब-ओ-दाना कहां है।
मंजिल तो धुंधला गई है..
पर रास्ते हमे अब भी रवां है.!
आंख में अब पहली सी
रोशनी तो नहीं रह गई..!
फिर भी उसका हर नुक़ूश
मेरे दिल पर अब भी छपा है।
जिस्म बूढ़ा हो चुका है..
पर इश्क़ तो अब तक जवां है!
……❣️……
✍️#_मदीहा_अय्याज़”फरीदा”