Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Aug 2023 · 1 min read

धीरे धीरे

धीरे-धीरे अपनों का साथ, हाथों से छूटता चला गया।
जिंदगी का सफर अपना,इस तरह कटता चला गया।

आशा और निराशा के बीच, दिन गुजरता चला गया।
बिना अपने- अपनों के, यह पिंजर चलता चला गया।

उसका होना जिंदगी में मेरी, किस्मत को मंजूर न था।
जो भी दर्द मिला जीवन में, हँस के सहता चला गया।

छत-दीवारें घूरती मुझको, मैं खिजता ही चला गया।
वक्त की आँधी में पसरे यादों को,बटोरता चला गया।

कर कलेजा पत्थर का, पत्थर दिल को भूलता गया।
भूल नहीं पाया उसे,भूलने का अभिनय करता गया।

रिश्तों का छूटना शुरू हुआ तो,बस छूटता चला गया।
रेत-सा अपनों का साथ,मुठ्ठी से फिसलता चला गया।

किससे करते शिकायतें, दर्द देनेवाले सब अपने ही थे।अपनों पर भरोसा बना रहे, बस दर्द सहता चला गया।

©®रवि शंकर साह, बैद्यनाथ धाम, देवघर, झारखंड

Language: Hindi
1 Like · 412 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इस धरातल के ताप का नियंत्रण शैवाल,पेड़ पौधे और समन्दर करते ह
इस धरातल के ताप का नियंत्रण शैवाल,पेड़ पौधे और समन्दर करते ह
Rj Anand Prajapati
एतमाद नहीं करते
एतमाद नहीं करते
Dr fauzia Naseem shad
अच्छे नहीं है लोग ऐसे जो
अच्छे नहीं है लोग ऐसे जो
gurudeenverma198
5. *संवेदनाएं*
5. *संवेदनाएं*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
जानें क्युँ अधूरी सी लगती है जिंदगी.
जानें क्युँ अधूरी सी लगती है जिंदगी.
शेखर सिंह
"उजाला"
Dr. Kishan tandon kranti
रूस्वा -ए- ख़ल्क की खातिर हम जज़्ब किये जाते हैं ,
रूस्वा -ए- ख़ल्क की खातिर हम जज़्ब किये जाते हैं ,
Shyam Sundar Subramanian
करते सच से सामना, दिल में रखते चोर।
करते सच से सामना, दिल में रखते चोर।
Suryakant Dwivedi
*आओ बैठो कुछ ध्यान करो, परमेश्वर की सब माया है (राधेश्यामी छ
*आओ बैठो कुछ ध्यान करो, परमेश्वर की सब माया है (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
"हिंदी साहित्य रत्न सम्मान - 2024" से रूपेश को नवाज़ा गया'
रुपेश कुमार
प्रदूषण-जमघट।
प्रदूषण-जमघट।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
आधार छंद - बिहारी छंद
आधार छंद - बिहारी छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
*गर्मी में नर्मी का अहसास*
*गर्मी में नर्मी का अहसास*
*प्रणय*
पंख
पंख
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
कोई दरिया से गहरा है
कोई दरिया से गहरा है
कवि दीपक बवेजा
आसमां में चाँद...
आसमां में चाँद...
पंकज परिंदा
तहजीब राखिए !
तहजीब राखिए !
साहित्य गौरव
कविता -
कविता - "सर्दी की रातें"
Anand Sharma
പക്വത.
പക്വത.
Heera S
🌸साहस 🌸
🌸साहस 🌸
Mahima shukla
अच्छा लगना
अच्छा लगना
Madhu Shah
संवेदना ही सौन्दर्य है
संवेदना ही सौन्दर्य है
Ritu Asooja
2855.*पूर्णिका*
2855.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सोच
सोच
Sûrëkhâ
बहुत प्यार करती है वो सबसे
बहुत प्यार करती है वो सबसे
Surinder blackpen
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
मतदान से, हर संकट जायेगा;
मतदान से, हर संकट जायेगा;
पंकज कुमार कर्ण
मिलन
मिलन
Bodhisatva kastooriya
हम तुम और वक़्त जब तीनों क़िस्मत से मिल गए
हम तुम और वक़्त जब तीनों क़िस्मत से मिल गए
shabina. Naaz
Loading...